प्रिय अरविन्द केजरीवाल जी,
सर्वप्रथम, भारतीय राजनीती में एक नवीन अध्ययाय प्रांरभ करने के लिए आपका धन्यवाद। दिल्ली कि जनता ने अपने विश्वास के साथ आपको महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व भी सोपने का प्रयास किया है। यह सर्ववदित है कि चुनाव परिणाम एक अंतिम अवस्था न हो, एक अति सवेदनशील सामाजिक व्यवस्था का भाग है। प्रजातान्त्रिक व्यवस्था का मूल उद्देश्य अच्छे चरित्रवान जनप्रतिनिधियो का चयन कर प्रशासनिक व्यवस्थाओ को सुशासित और विकसित करने का है। "आप" के जनप्रतिनिधियो को जिन उत्तरदाइत्वो का निर्वाह करने के लिए चुना है उसे पूर्ण करने में निश्चित ही सामंजस्य कि नितांत आवश्यकता है, कठिन परिस्थितियो में बिना आदर्शो की बली दिए सामंजयस्ता का प्रदर्शन अच्छे जनप्रतिनिधियो से अपेक्षित है।
दिल्ली के परिणाम मुख्य्तः दो प्रमुख बाते स्पष्ट करते है :-
१. दिल्ली के जनमानस का पिछले १५ वर्षो के शासन से पूर्णतः विश्वास उठना।
२."आप" और "भाजपा" को आंशिक रूप से सामान जनादेश।
संपूर्ण सत्ता गलत हाथ में देने, कम प्रतिनिधित्व रखने वाले राजनितिक दलों कि भयादोहन करने कि क्षमता और मानसिकता को हाल के समय में साधारण जनमानस ने अनुभव किया है। ऐसे में यह जनादेश स्वाभाविक ही प्रतीत होता है, अतः सम्मानीय है। जनमानस स्पष्ट रूप से असहनीय आर्थिक दबाव में है और उसपर पुनः चुनावो का व्यय थोपना कितना सही है, यह निर्णय आपको ही करना है।
यह परिणाम दर्शाता है कि जनमानस ने पूर्णता से "आप" में भी विश्वास नहीं दिखाया है, इसे स्वीकार करते हुए यह अपेक्षित है कि "आप" कि नवसृजनित सेवक शक्ति को, उसके अधिनायक होने के नाते, आप अतिशीघ्र जनसेवा में समर्पित करे। यह जनादेश एक ईमानदार और नया प्रशासनिक अनुभव करने के प्रति जनमानस का आवाहन है। इस जननिर्णय का सम्मान करते हुए हम सभी को मध्यपथ को ढूंढ़ने का प्रयास करना आवश्यक है।
जिन उत्तरदाइत्वों का निर्वाह करने का अवसर "आप" के जनप्रतिनिधयों को मिला है, सर्वप्रथम उन्हें स्वीकार कर "आप" एक नए शासन का अनुभव देने का प्रयास करें यही अपेक्षा है।
"अच्छा नेता" यह कोई काल्पनिक पात्र है अथवा सच्चाई, यह स्पष्ट करने का सुअवसर आप को मिला है, इसे व्यर्थ न जाने दे।
धन्यवाद,
निखिल मोडक
आम आदमी
इंदौर
सर्वप्रथम, भारतीय राजनीती में एक नवीन अध्ययाय प्रांरभ करने के लिए आपका धन्यवाद। दिल्ली कि जनता ने अपने विश्वास के साथ आपको महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व भी सोपने का प्रयास किया है। यह सर्ववदित है कि चुनाव परिणाम एक अंतिम अवस्था न हो, एक अति सवेदनशील सामाजिक व्यवस्था का भाग है। प्रजातान्त्रिक व्यवस्था का मूल उद्देश्य अच्छे चरित्रवान जनप्रतिनिधियो का चयन कर प्रशासनिक व्यवस्थाओ को सुशासित और विकसित करने का है। "आप" के जनप्रतिनिधियो को जिन उत्तरदाइत्वो का निर्वाह करने के लिए चुना है उसे पूर्ण करने में निश्चित ही सामंजस्य कि नितांत आवश्यकता है, कठिन परिस्थितियो में बिना आदर्शो की बली दिए सामंजयस्ता का प्रदर्शन अच्छे जनप्रतिनिधियो से अपेक्षित है।
दिल्ली के परिणाम मुख्य्तः दो प्रमुख बाते स्पष्ट करते है :-
१. दिल्ली के जनमानस का पिछले १५ वर्षो के शासन से पूर्णतः विश्वास उठना।
२."आप" और "भाजपा" को आंशिक रूप से सामान जनादेश।
संपूर्ण सत्ता गलत हाथ में देने, कम प्रतिनिधित्व रखने वाले राजनितिक दलों कि भयादोहन करने कि क्षमता और मानसिकता को हाल के समय में साधारण जनमानस ने अनुभव किया है। ऐसे में यह जनादेश स्वाभाविक ही प्रतीत होता है, अतः सम्मानीय है। जनमानस स्पष्ट रूप से असहनीय आर्थिक दबाव में है और उसपर पुनः चुनावो का व्यय थोपना कितना सही है, यह निर्णय आपको ही करना है।
यह परिणाम दर्शाता है कि जनमानस ने पूर्णता से "आप" में भी विश्वास नहीं दिखाया है, इसे स्वीकार करते हुए यह अपेक्षित है कि "आप" कि नवसृजनित सेवक शक्ति को, उसके अधिनायक होने के नाते, आप अतिशीघ्र जनसेवा में समर्पित करे। यह जनादेश एक ईमानदार और नया प्रशासनिक अनुभव करने के प्रति जनमानस का आवाहन है। इस जननिर्णय का सम्मान करते हुए हम सभी को मध्यपथ को ढूंढ़ने का प्रयास करना आवश्यक है।
जिन उत्तरदाइत्वों का निर्वाह करने का अवसर "आप" के जनप्रतिनिधयों को मिला है, सर्वप्रथम उन्हें स्वीकार कर "आप" एक नए शासन का अनुभव देने का प्रयास करें यही अपेक्षा है।
"अच्छा नेता" यह कोई काल्पनिक पात्र है अथवा सच्चाई, यह स्पष्ट करने का सुअवसर आप को मिला है, इसे व्यर्थ न जाने दे।
धन्यवाद,
निखिल मोडक
आम आदमी
इंदौर
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